पलायन में झलका उत्तराखंड पहाड़
का दर्द
उत्तराखंड
से पलायन (कड़वा सत्य)
पुश्तैनी
मकान, रिश्ते, खुशियों, खेत, खलियान सबसे मुंह
मोड़ आए हो।
पहाड़ी
तुम पहाड़ रोता छोड़ आए हो।।
एक दर्द
एक एहसास अपने साथ लाये हो।
पहाड़ी
तुम पहाड़ रोता छोड़ आए हो।।
दिल टुटा,
टुटे घर, टुटा वो आंगन ।
जिसमें
हमने प्यार से बिताया था बच्चपन ।।
बाबा
का कंधा माँ का प्यार वो सारा दुलार ।
याद आता
है वो होली और दिवाली का त्यौहार ।।
रिश्ते
निभाने जहाँ पुरे गाँव को आए ।
जहाँ
हर कोई दुख सुख साथ बिताऐ ।।
ठंडी
हवा ठंडा पानी जहाँ की हो पेहचान ।
मेरो
गाँव मेरो पाहाड़ वो है मेरी जान ।।
क्यों
छोडा तुमने अपना पाहाड़ यही एक सवाल ।
ना प्रगति,
ना रोजगार, ना स्वस्थ बस बोलो तो टुटी दीवार टूटी दीवार ।।
घर खण्डार,
खेत बंजर, दुआर भी अब बेकार ।
यही है
पलायन का दुख का संसार ।।
दिल सेहम
सोच यही, ना जा पाऊँगा फिर से इस बार ।
शहर से
ही करता हूँ पूर्वजों का नमन बारम बार ।।
पुछे
हर कोई केसी थी दीवाली और होली इस बार ।
सुनाता
हूँ उन्हें केसे बनाते हैं गाँव में त्योहार बार बार ।।
सोच सोच
नयन छुपाये अकस छुपाये हर बार ।
लौट के
आऊँगा में अगले बार, अगले बार ।।
लौट आऊँगा
कभी यही करता हूँ जतन बार बार ।
पलायन
का दर्द का यही संसार यही संसार ।।
छोड़
के ना जाऐ कोई अपने गाँव को ऐसे ।
अगर आए
प्रगति,रोजगार,सवास्थ्य और पैसा ।।
दिल करे
हर पल की लौट आऊँ।
पर पेट
का भी है सवाल, यह खुदको समझाऊँ।।
लोग मुझसे
पूछे की जनन्त क्यों छोड़ आया हूँ ।
उन्हें
केसे बताऊँ अपनी मर्जी से नहीं पलायन की मार से आया हूँ ।।
पुछे
सब मुझसे पलायन ये केसा भाई ।
नेता
कहें बंद करो उत्तराखण्ड से पलायन की आवाजाही ।।
सच तो ये है की कोई कुछ करता नी नहीं ।
वरना
हर पाहाड़ी शहर में मरता नहीं ।।
है हम सबको इस देवभूमि से प्यार ।
पर लौट कर केसे आऐ अपने गाँव हर बार ।।
दिल करता है हमेशा के लिए सब आऊँ छोड़ वापस ।
पर गरीबी और बेरोजगारी की है मार,बेरोजगारी की है मार ।।
ये है पलायन का दर्द भरा समाचार, दर्द भरा समाचार ।। लेखक - दीपक सिंह नेगी
Bahut ache tarike se apne kavita ke madiyam se playan ka jo dard ko batya h.
जवाब देंहटाएंAbhi ke time pe Uttarakhand ke hill states ka yahi haal h, no pragati h na rojar h na development h bus har koi yahi bolta h palayan kyu krte ho., par kya kre jindagi ka bhi sawal hota h
काफी अच्छी और सच पंक्तिया लिखी है अपने nice blog
जवाब देंहटाएंsach h jo jata hai usse ko pata chalta h kbhi sb palayan kyu h bolte h, hills districts ki yahi halat h. chahe wo koisa bhi ho apne ghar ko kise ko chodna acha ni lagta par majburi karan chodna padta h. sarkar smjhi ni h or greeb or gareeb ho jata h
जवाब देंहटाएंsach kaha h apne pura yahi haal h palayan ki wajaha se
जवाब देंहटाएंbahut acha likha h , palayan naukari na hone ki wajha se jada baad gaya h
जवाब देंहटाएंsach kaha apne bilkul, neta log kise kaam ke nahi h palayan to hoga hi, abhi apada ki wajha se sb pahad laut aye h par uske baad jana padega wapas kyuki yaha rojgar to h ni
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