नैनीताल - झीलों का शहर
“उत्तराखण्ड” नाम सुनते ही हमें पहाड़, झरने, नदियाँ, वादियाँ, झीलें, इत्यादि मनमोहक और मन को हर लेने वाली प्राकृतिक चीज़ों का अनुसरण होने लगता हैं।
उत्तराखण्ड हमेशा से ही अपनी प्राकृतिक ख़ूबसूरती और शांत वातावरण के लिए जाना जाता हैं। इसी प्राकृतिक ख़ूबसूरती और शांत वातावरण से रूबरू कराने के लिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐशे स्थान के बारे में जहाँ जाना हर किसी का सपना रहता हैं। जिसे प्यार से लोग नैनीताल बुलाते है
क्यूँ आया ना मज़ा__ अब आपके आँखो और दिमाग़ में भी नैनीताल की तस्वीर बन चुकी हैं , सही कहा ना मैंने? तो चलिए शुरू करते हैं बिना किसी देरी के !
उत्तराखण्ड में हिमालयी पहाड़ियों की तलहटी में स्थित एक प्यारा सा शहर नैनीताल अपनी ख़ूबसूरती और शांत परिवेश के कारण हमेशा से ही आकर्षण का केन्द्र रहा हैं। नैनीताल का वर्णन प्राचीन ग्रंथो में भी देखने को भी मिलता हैं। “स्कन्द पुराण” के “मानस खण्ड” में नैनीताल को “ त्रिऋषि सरोवर “ नाम दिया गया हैं, जिसका अर्थ होता है तीन साधु की भूमि । मान्यता हैं की अत्रि, पुलस्क तथा पुलक नाम के ३ साधु यहाँ पर तपस्या करने आए थे परंतु उन्हें इस छेत्र में पीने का पानी नहीं मिला अतःप्यास मिटाने हेतु वे अपने तप के बल पर तिब्बत के मानसरोवर झील के जल को यहाँ पर लाए थे।
दूसरे प्राचीन मान्यता के अनुसार नैनीताल “64 शक्तिपीठों” में से एक हैं ।इन शक्ति पीठों का निर्माण सती के विभिन्न अंगो के गिरने से हुआ है। कहा जाता हैं जब भगवान शिव, सती को जलती हुई अवस्था में मृत देह को लेकर कैलाश पर्वत ले जा रहे थे तब इस स्थान पर माता सती की बाँयी आँख (नैन) गिरी थी जिसने नैनीताल के संरक्षण देवता के रूप में जन्म लिया जिस कारण इसका नाम नैन ताल पड़ा तथा बाद में नैनीताल के नाम से जाना जाने लगा । प्रमाण के तौर पर झील के उत्तर में नैना देवी का मंदिर है, जहॉ पर देवी शक्ति की पूजा होती है ।
सबसे अधिक ताल होने के कारण नैनीताल को भारत का लेक डिस्ट्रिक्ट भी कहा जाता है, क्योंकि यह पूरी जगह झीलों से घिरी हुई है।चारों ओर से घने-घने वृक्षों की छाया में ऊँचे - ऊँचे पहाड़ों की तलहटी में नैनीताल समुद्र तल से नैनीताल की कुल ऊंचाई लगभग 1938 मीटर (6358 फुट) है। झील की प्रमुख विशेषता यह हैं की दिन के समय इस झील के चारों ओर की पहाड़ियों और बड़े बड़े वृक्षों का प्रतिबिम्ब साफ़ झील के पानी में दिखाई देता हैं।आकाश में छाए हुए बादलों का प्रतिबिंब इसे और अधिक मनमोहक बनाता हैं।रात्रि में चाँद-सितारों से सजी हुई झील मानो पुरा आकाश ही ज़मीन पर आ गया हों जो इसकी सुंदरता पर चार चाँद लगा देता हैं । झील के जल की एक विशेषता यह भी हैं की झील का पानी गर्मियों में इसका पानी हरा, बरसात में मटमैला और सर्दियों में हल्का नीला हो जाता है।ऐशि सुंदरता को देखने के लिए विश्व के कोने कोने से लोग लाखों की संख्या में साल भर आते रहते हैं।
आवागमन
सड़क मार्ग (By Road)
नैनीताल राष्ट्रीय राजमार्ग 87 से जुड़ा हुआ स्थान हैं।हल्द्वानी, दिल्ली, आगरा, देहरादून, हरिद्वार, लखनऊ, कानपुर और बरेली से रोडवेज की बसें नियमित रूप से यहां के लिए चलती हैं
रेल मार्ग (By Train)
पहाड़ी छेत्र होने के कारण यहाँ पर अभी तक रेलवे लाइन का निर्माण संभव नहीं हो पाया हैं लेकिन 35km की दूरी पर स्थित कठगोदाम (हल्दवानी) निकटतम रेलवे स्टेशन है जो सभी प्रमुख नगरों से जुड़ा है।
वायु मार्ग (By Air)
नैनीताल से 71km की दूरी पर स्थित पंतनगर हवाई अड्डा निकटतम स्टेशन हैं। यहाँ से दिल्ली,देहरादून,पिथौरागढ़ आदि के लिए उड़ानें हैं।
नैनीताल के पर्यटन स्थल (Tourist
Place of Nainital)
नैनी झील:> नैनीताल के मुख्य आकर्षण का केंद्र यहाँ की झील ही हैं। यह झील 64 शक्तिपीठों में से एक हैं।स्कंद पुराण में इसे त्रिऋषि सरोवर कहा गया है।इस खूबसूरत झील में नौकायन का आनंद लेने के लिए लाखों देशी-विदेशी पर्यटक यहाँ आते हैं।झील के उत्तरी किनारे को मल्लीताल और दक्षिणी किनारे को तल्लीताल कहते हैं। दिन के समय झील के पानी में किनारों पर स्थित पहाड़ों और वृछों का प्रतिबिम्ब और रात्रि में जब झील किनारे स्थित बल्बों की लाइट इस झील में पड़ती हैं तब इस झील की सुंदरता में और भी चार चाँद लग जाते हैं
तल्लीताल एवं मल्लीताल:> ताल का मल्ला भाग मल्लीताल और नीचला भाग तल्लीताल कहलाता है।नैनीताल के ताल के दोनों ओर सड़के हैं।मल्लीताल में फ्लैट का खुला मैदान है। शाम होते ही बाहर से आए हुए सैलानी इस मैदान पर एकत्र होने लग जाते है । शाम के समय यहाँ पर तरह तरह के खेल , कार्यक्रमों का आयोजन भी होता हैं। जैसे ही शाम की नगरीय बिजली जगमगाने लगती हैं मानो सारे जगमगाते हुए तारे झील में समा गये हों।
संध्या समय तल्लीताल से मल्लीताल को आने वाले सैलानियों का तांता सा लग जाता है। इसी तरह मल्लीताल से तल्लीताल (माल रोड) जाने वाले प्रकृतिप्रेमियों का काफिला देखने योग्य होता है।
मॉल रोड:> मॉल रोड को अब गोविंद बल्लभ पंत मार्ग भी कहा जाता है। यह रोड झील के पूर्व में स्थित हैं ।माल रोड मल्लीताल और तल्लीताल को जोड़ने वाला मुख्य रास्ता है।सभी पर्यटकों के लिए यह रोड आकर्षण का केंद्र है।यहां बहुत सारे होटल, रेस्टोरेंट, ट्रैवल एजेंसी, दुकानें और बैंक हैं।झील के पश्चिम में ठंडी रोड है।यहां पशान देवी मंदिर है। ठंडी रोड पर वाहनों को लाना मना है। जिस कारण यह रोड माल रोड जितनी व्यस्त नहीं रहती।
नैना देवी मंदिर:> नैनी झील के उत्तरी किनारे पर नैना देवी मंदिर स्थित है।माँ नैना देवी की असीम कृपा हमेशा अपने भक्तों पर रहती है। हर वर्ष माँ नैना देवी का मेला नैनीताल में आयोजित किया जाता है।1880 में भूस्खलन से यह मंदिर नष्ट हो गया था। बाद में इसे दुबारा बनाया गया।
एरियल रोपवे:> यह रोपवे नैनीताल का मुख्य आकर्षण है। यह स्नो व्यू पाइंट और नैनीताल को जोड़ता है। रोपवे मल्लीताल से शुरु होता है। यहां दो ट्रॉली हैं जो सवारियों को लेकर जाती हैं। रोपवे से शहर का खूबसूरत दृश्य दिखाई पड़ता है।
चीनीपीक (नैनापीक):> 2611 मीटर की ऊँचाई वाली पर्वत चोटी है। जिसे चाइना पीक के नाम से भी जाना जाता है। यहां एक ओर बर्फ़ से ढ़का हिमालय दिखाई देता है और दूसरी ओर नैनीताल नगर का पूरा भव्य दृश्य देखा जा सकता है। इस चोटी पर चार कमरे का लकड़ी का एक केबिन है जिसमें एक रेस्तरा भी है।
भोटिया मार्केट
यह बाज़ार नैनी झील के किनारे तथा शहर के मध्य में स्थित हैं।इसे तिब्बती बाज़ार के नाम से भी जाना जाता हैं । यहाँ खाने से लेकर पहनने तक का हर सामान आप यादगार के रूप में ख़रीद सकते हैं। भोटिया बाजार शॉल, स्वेटर, मफलर, बैग और अन्य स्मृति चिन्ह प्रदान करता है। हिमालयन बैग , बाँस से निर्मित कलाकृतिया तथा चीड़ की लकड़ी का शिल्प,महिलाओं द्वारा दस्तकारी की गई कुमाऊं ऊन, ज़रूरत का हर समान आपको यहाँ मिलेगा।
बाजार जाने के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं है। आप सप्ताह के सभी दिनों में 9:00am से 10:00pm बजे के बीच यात्रा कर सकते हैं।
नैनीताल चिड़ियाघर
शेर का डांडा पहाड़ी पर समुद्र तल से 2,100 मीटर या 6900 फीट की ऊंचाई पर मध्य हिमालय और शिवालिक पर्वत श्रृंखला के बीच में स्थित एक उच्च ऊंचाई वाला चिड़ियाघर है। इसकी स्थापना 1984 में की गयी थी ।चिड़ियाघर 4.6 हेक्टेयर या 11 एकड़ के हरे क्षेत्र में फैला हुआ है।
नैनीताल चिड़ियाघर रॉयल बंगाल टाइगर, सांभर, तिब्बती भेड़ियों, तेंदुए बिल्ली, बार्किंग हिरण, जापानी मकाक और हिमालयन भालू जैसे विभिन्न लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है। चिड़ियाघर में विभिन्न पक्षियों जैसे गोल्डन तीतर, रोज-रिंग परेडेट, कालिज तीतर, लेडी एमहर्स्ट तीतर, स्टेपी ईगल, हिल पार्ट्रिज, व्हाइट पीफॉउल, ब्लॉसम हेडेड पैराकेट और रेड जंगलफ्लो भी हैं। ज्यादातर जानवरों को लोगों या जानवरों के संगठनों द्वारा अपनाया जाता है।
शुल्क और समय
प्रवेश शुल्क
चिड़ियाघर में प्रवेश रु। के साथ भुगतान किया जाता है। वयस्कों के लिए 50 और रु। बच्चों के लिए २०। एक कैमरा ले जाने का शुल्क भी है, रु। 25 अभी भी कैमरा और रु। एक पेशेवर वीडियो कैमरा के लिए 200।
वरिष्ठ नागरिकों और अलग-अलग लोगों के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं है।
इसके अलावा, छात्रों को विश्व पर्यावरण दिवस, ओजोन दिवस, चिड़ियाघर स्थापना दिवस और पूरे वन्य जीवन सप्ताह में मुफ्त प्रवेश का हकदार है।
समय
चिड़ियाघर सुबह 10:00 बजे खुलता है और सोमवार को छोड़कर सप्ताह के सभी दिनों में शाम 4:30 बजे बंद हो जाता है। चिड़ियाघर होली, दिवाली, गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर बंद रहता है।
लेखक– ऋषि चौधरी
nice blog, informative and crisp
जवाब देंहटाएंUsually I never comment on blogs but your article is so convincing that I never stop myself to say something about it. You’re doing a great job bro,Keep it up.
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जवाब देंहटाएं👍👍👍👍nice
जवाब देंहटाएंbahut acha likha h pad ke bahut kuch acha janne ko mile
जवाब देंहटाएंThis place is simply amazing.... heaven on Earth.....this information is useful for tourists....I love this place
जवाब देंहटाएंmaja a gaya sb ye blog padh ke , thanks for sharing
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