अटल सुरंग (टनल) - विश्व की सबसे बड़ी सुरंग

 

अटल सुरंग (टनल) - विश्व की सबसे बड़ी सुरंग


आज हम आपको विश्व की सबसे बड़ी सुरंग अटल टनल/ टर्मिनल के बारे मैं जानकारी प्रदान करेंगे। अटल टनल हमारे पूरे भारत में एक बहुत अदभुत मिशाल है तथा हमारा ही नहीं हमारे सैनिक का अभिमान है और आने वाले समय में इससे हमारे भारतीय सैनिकों को  बहुत मदद मिलेगा। अटल टनल के लिए हम तहेदिल से धन्यवाद् करते है हमारे आदरणीय  प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जी तथा स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का।   

आपको हम बता देते हैं की रोहतांग दर्रे के नीचे टनल बनाए जाने का ऐतिहासिक फैसला तीन जून 2000 को लिया गया था जब अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे। जिन्होंने हमारे सैनिकों के लिए तथा हिमाचल प्रदेश के वासियों के लिए इतना सोचा ।

 



प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत् में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 25 दिसंबर 2019 को पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा दिए गए योगदान तथा उनकी 95वीं जयंती पर उनको सम्मान प्रदान करने के लिए रोहतांग टनल का नाम अटल टनल रखने का निर्णय लिया।

बता दे, अटल टनल दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग है। जो हिमालय की पीर पंजाल पर्वत रेंज में रोहतांग पास के नीचे लेह-मनाली हाईवे पर बनाई गई है।  इस हाईवे का उदघाटन दिनांक  3.10.2020 को किया गया है और इससे अब मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किलोमीटर कम हो जाएगी तथा चार घंटे की बचत होगी। इसका नाम पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा गया है।

 

इसकी लंबाई 9.02 किलोमीटर है। हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे में बना यह टनल समुद्र तल से 3000 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर है। बेहद खुशी की बात यह है की अटल टनल भारतीय सेना को सामरिक रूप से मजबूती देगी और इस पर खर्च कुछ लगभग 2958 करोड़ रुपए खर्च आया।

इसमें 14508 मीट्रिक स्टील लगा , 2,37,596 मीट्रिक सीमेंट का इस्तेमाल हुआ। 14 लाख घन मीटर चट्टानों की खुदाई हुई है। हर 150 मीटर की दूरी पर 4-जी की सुविधा तथा टनल से मनाली और लाहौल-स्पीति घाटी 12 महीने जुड़े रहेंगे। बहुत कम लोग को ये बात पता होगी कि  भारी बर्फबारी की वजह से इस घाटी का छह महीने तक संपर्क टूट जाता है।

अब हम आपको इसकी डिजाइन के बारे में बताते है। ये  अटल सुरंग की डिजाइन प्रतिदिन तीन हजार कार और 1500 ट्रक के लिए तैयार की गई है जिसमें वाहनों की अधिकतम गति 80 किलोमीटर प्रति घंटे होगी।

आपातकालीन कम्युनिकेशन के लिए –

प्रत्येक 150 मीटर दूरी पर टेलीफोन कनेक्शन

प्रत्येक 60 मीटर दूरी पर फायर हाइड्रेंट सिस्टम

प्रत्येक 250 मीटर दूरी पर सीसीटीवी कैमरों से युक्‍त स्‍वत: किसी घटना का पता लगाने वाला सिस्टम

प्रत्येक किलोमीटर दूरी पर एयर क्वालिटी गुणवत्ता निगरानी

प्रत्येक 25 मीटर पर निकासी प्रकाश/निकासी इंडिकेटर पूरी टनल में प्रसारण प्रणाली

प्रत्‍येक 50 मीटर दूरी पर फायर रेटिड डैम्पर्स

प्रत्येक 60 मीटर दूरी पर कैमरे लगाए हुए है।

 


इस टनल को बनाने में कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। इसमें केवल एक छोर से काम कर रहे थे, दूसरा छोर रोहतांग के पास उत्तर में था। एक साल में सिर्फ 5 महीने ही काम किया जा सकता था। क्यूंकि उसके बाद भारी बर्फ बारी शुरू हो जाती है। जिससे बहुत कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।



लेखक – दीपक सिंह नेगी

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