जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क

जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क

भारत का पहला सबसे पुराने नेशनल पार्क में से एक जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क जिसकी स्थापना 1936 में हैली नेशनल पार्क के रूप में की गयी, जिसका मुख्य उद्देश्य विलुप्त होती बंगाल बाघ की प्रजाति को संरक्षण प्रदान करना था यहाँ रॉयल बंगाल टाइगर की विलुप्त होती हुई प्रजातिया पायीं जाती हैं यह भारत सरकार के पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा संचालित प्रोजेक्ट टाइगर कार्यक्रमों द्वारा संरक्षित हैं। भारत के तेंदुए खतरे में हैं और संरक्षित प्रजातियाँ हैं। बाघ की संख्या 1.5 वर्ष से अधिक आयु के पशुओं की है। भारत दुनिया के बाघों की आबादी का 75% हिस्सा है।

स्थान 
हिमालय पर्वत की तलहटी पर उत्तराखण्ड राज्य में नैनीताल जिले के रामनगर छेत्र के समीप रामगंगा नदी के किनारे यह स्थित है।

जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क का इतिहास
वर्ष 1930 में ब्रिटिश सरकार की सहायता से प्रसिद्ध वन्यजीव संरक्षणवादी और लेखक जिम कॉर्बेट ने हैली नेशनल पार्क के नाम से इस पार्क की स्थापना की
वर्ष 1956 में इस आरक्षित छेत्र का नाम बदल कर जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के रूप में परिवर्तित कर दिया गया।
बाघों की आबादी अधिक होने के कारण इसे बाघों के लिए स्वर्ग कहा जाता हैं

आकर्षण केन्द्र
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में लगभग 50 स्तनधारियों, 577 पक्षियों और 25 सरीसृप प्रजातियों का निवास स्थान है। कॉर्बेट में रहने वाले प्रमुख वन्यजीव हैंबंगाल टाइगर, एशियाई हाथी, तेंदुए, जंगली सूअर, स्लोथ बीयर, सियार, नेवला और मगरमच्छ।
वृक्षों की करीब 110 प्रजातिया यहाँ पायी जाती हैं।

शुल्क ( भारतीय के लिए)
INR 4500 / प्रति जीप (अधिकतम 6 व्यक्ति को ही एक जीप में अनुमति हैं) (समय के अनुसार शुल्क में परिवर्तन सम्भव)

शुल्क ( विदेशी के लिए)
INR 7500 / प्रति जीप (अधिकतम 6 व्यक्ति को ही एक जीप में अनुमति हैं) (समय के अनुसार शुल्क में परिवर्तन सम्भव)

छेत्र
पार्क में घुमने के लिए पार्क को अलग-अलग भागो में विभाजित किया गया हैं तथा घुमने के लिए उपयुक्त समय
·        बिज़रानी छेत्र ( 1 अक्टूबर से 30 जून )
·        झरना छेत्र ( पूरे साल भर )
·        दुर्गादेवी छेत्र ( 15 नवम्बर से 15 जून )
·        ढेला छेत्र ( 15 नवम्बर से 15 जून )
·        सीतावनी छेत्र ( ( पूरे साल भर )

पार्क खुलने का समय
प्रातःकाल 6:00AM-9:30AM
सायंकाल 2:30PM-5:30PM      

                                                                                                       लेखक ऋषि चौधरी


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वाइब्रेंट उत्तराखंड "भगवान की भूमि" संस्कृति, मूल्यों, प्रेम, भक्ति, विरासत, अनुष्ठानों, जड़ों, विविधता को प्रदर्शित करने के बारे में है, जो देवभूमि उत्तराखंड को एकजुट करती है। हम "देवभूमि उत्तराखंड" से जुड़े मुख्य मुद्दों को भी दिखाने की कोशिश करेंगे और समय-समय पर व्यक्तिगत अनुभवों को भी पोस्ट करेंगे, जो उत्तराखंड पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए हमारे पास उत्तराखंड में थे। साथ ही इस ब्लॉग का उद्देश्य नवोन्मेषी विचारों के युवाओं को बताना है जो उन्हें अपने भविष्य और अपने स्वयं के स्थानों पर अपना कैरियर बनाने में मदद करेंगे।

11 टिप्पणियाँ

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